सेक्स जानने योग्य तथ्य – Secret of sex in hindi

तीन मिनिट काफ़ी हैं सेक्स के लिये ? लोगों में सेक्स -टाईम के बारे में उपयुक्त जानकारी नहीं होने से कई तरह की बातें और भ्रांतिया प्रचलित हैं। सेक्स टाईम बढाने से ताल्लुक रखने वाले सवाल अक्सर पूछे जाते हैं। आदर्श समय क्या है? वर्षों से इस सब्जेक्ट पर काम कर रहे डाक्टरों और यौन विशेषग्यों का मत है कि सर्वोत्तम सेक्स क्रिया कुछ ही मिनिटों में संपन्न होती है। लम्बे समय तक सेक्स करने की बातों में सच्चाई नाम मात्र की होती है। शौधकर्ताओं के मुताबिक संतोषप्रद सेक्स टाईम ३ से १३ मिनिट के बीच होता है। सात मिनिट की अवधि को पर्याप्त कहा जा सकता है। मैथुन में लगने वाला तीन मिनिट का समय संतोष प्रद की श्रेणी में माना जाता है। एक से दो मिनिट का समय अपर्याप्त याने काफ़ी कम होता है।दस से तीस मिनिट तक संभोग को ” ऊबाऊ यौन क्रिया” की संग्या दी गई है। उक्त निष्कर्षों से साफ़ हो जाता है कि ३ मिनिट सेक्स करने में समर्थ पुरुषों को चिंतित होने का कोई कारण नहीं है। सेक्स टाईम बढाने के चक्कर में कई लोग वैध्य -हकीमों के नुस्खों के जाल में फ़ंस कर हजारों रुपये बर्बाद कर देते हैं।आधुनिक समाज में कई युवक-युवतियां लंबी यौन क्रिया की झूंठी कहानियां गढने में लगे हैं जिससे सामान्य पुरुषो मे उदासीनत और असमर्थता का भाव जन्म लेता है।                                                                                           
लिंग के आकार का यौन-क्रिया और साथी की संतुष्टि की द्रष्टि से विवेचन भारत में यौन क्रिया और स्त्री-पुरुष के गुप्त क्रिया-कलाप के बारे में खुलापन नहीं होने से लडके अक्सर उलझन में रहते हैं और चिंतित रहते हैं कि उनका लिंग छोटा है,पतला है ।इस सवाल के समाधान के लिये सबसे पहिले यह जानना जरूरी है कि सेक्स करने के वक्त वास्तव में लिंग का क्या काम है और उससे यौन-क्रिया किस तरह संचालित होती है? दर असल लिंग का कर्तव्य संभोग क्रिया के जरिये शुक्राणुओं को स्त्री की योनी में पहुंचाना और स्त्री-पुरुष को यौन संतुष्टि प्रदान करना है। दिलचस्प जानकारी ये कि स्त्री की योनी के भीतर सिर्फ़ १ से १.५ सें.मी. की गहराई पर जी स्पोट होता है। यह जगह बहुत ज्यादा संवेदनशील होती है। इस जगह पर लिंग का घर्षण होने से स्त्री आनंद विभोर हो जाती है। छोटे और पतले लिंग से भी यह घर्षण कार्य आसानी से हो जाता है। लिंग के आवागमन से घर्षण होकर स्त्री पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती है और वह कामातुर अवस्था में यौनि में लिंग को भिचड लेती है, इससे स्त्री-पुरुष दोनों को संतुष्टि मिलती है। स्त्री-यौनि की संरचना ही कुछ इस तरह की होती है कि वह हर प्रकार लिंग से सामंजस्य बिठा लेती है। अगर लिंग का आकार लंबा और मोटा हो तो यौनि फ़ैलकर उसके लिये जगह बनाती है और यदि लिंग छोटा और पतला है तो यौनि सिकुडकर तद्नुरुप हो जाती है। आनुवांशिकता और पुरुष की लंबाई के मुताबिक लिंग का आकार निर्धारित होता है। सेक्स पर अनुसंधान करने वाले यौन वैग्यानिकों का मत है कि भारतियों के लिंग का औसत आकार उत्तेजित अवस्था में ४ इंच का होता है। पश्चिमी देशों के पुरुषों के लिंग ५ से ७.५ इंच के होते हैं।भारत की जनसंख्या पर नजर डालें तो भारत वासियों ने छोटे औजार से वाकई बडे काम अंजाम दिये हैं। लिंग को ऊपर से नीचे की तरफ़ देखने पर छोटा दिखाई देता है जबकि दूसरों के लिंग लंबे दिखाई पडते है। इसलिये अपना लिंग शीशे में देखना चाहिये। इससे हीन भावना का निराकरण हो सकेगा। अगर किसी पुरुष का लिंग बहुत छोटा है तो स्त्री को लिटाकर उसकी कमर के नीचे तकिया लगाना चाहिये इस स्थिति में लिंग यौनि में गहराई तक प्रवेश कर जाता है और स्त्री को पर्याप्त संतुष्टि मिल जाती है। एक तरीका यह भी है कि संभोग क्रिया के वक्त पुरुष नीचे और स्त्री ऊपर रहनी चाहिये।यौन वैग्यानिकों के अनुसार छोटे लिंग के पुरुषों के लिये यह बढिया तकनीक मानी गई है। यौनि के कुछ ऊपर स्त्री की भगनासा का ऊभार होता है ।यह स्त्री का संवेदनशील अंग होता है। छोटे लिंग वालों को स्त्री को उत्तेजित करने के लिये इस अंग को सहलाना चाहिये। जब स्त्री पूरी तरह उत्तेजित हो जाए तब लिंग प्रवेश कर यौन क्रिया संपन्न करना चाहिये।. इससे भी स्त्री को संतुष्टि प्राप्त होती है। ..                                                                                                                                                                                                                                                                                       शुक्राणु अल्पता क्या है? पुरुष के वीर्य में शुक्राणु होते हैं। ये शुक्राणु स्त्री के डिम्बाणु को निषेचित कर गर्भ धारण के लिये जिम्मेदार होते हैं। वीर्य में इन शुक्राणुओं की तादाद कम होने को शुक्राणु अल्पता की स्थिति कहा जाता है। शुक्राणु अल्पता को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं। लेकिन अगर वीर्य में शुक्राणुओं की मौजूदगी ही नहीं है तो इसे एज़ूस्पर्मिया संग्या दी जाती है। ऐसे पुरुष संतान पैदा करने योग्य नहीं होते हैं। वीर्य में स्वस्थ शुक्राणुओं की तादाद कम होने के निम्न कारण हो सकते हैं–                                                                      

१) वीर्य का दूषित होना                                                                                                                               
२) अंडकोष पर गरमी के कारण वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है। ज्यादा तंग अन्डर वीयर पहिनने,गरम पानी से स्नान करने, बहुत देर तक गरम पानी के टब में बैठने और मोटापा होने से शुक्राणु अल्पता हो जाती है।           ३) हस्तमैथुन से बार बार वीर्य स्खलित करना                                                                                               
४) थौडी अवधि में कई बार स्त्री समागम करना                                                                                           
५) अधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना                                                                                       
६) ज्यादा शराब सेवन करना                                                                                                                         ७) अधिक बीडी सिगरेट पीना                                                                                                                     
८) गुप्तांग की दोषपूर्ण बनावट होना                                                                                                          
९) शरीर में ज़िन्क तत्व की कमी होना                                                                                                     
१०) प्रोस्टेट ग्रंथि के विकार वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बढाने के लिये निम्न उपाय करने का परामर्ष दिया जाता है–                                                                                                                                                  
१) दो संभोग या हस्त मैथुन के बीच कम से कम ४ दिन का अंतराल रखें।                                                        
२) नियमित व्यायाम और योग करें।                                                                                                          
३) शराब और धूम्रपान त्याग दें।                                                                                                                
४) अधिक तीक्छण मसालेदार , अम्लता प्रधान और ज्यादा कडवे भोजन हानिकारक है।                                 
५) ११ बादाम रात को पानी में भिगो दें। सुबह में छिलकर ब्लेन्डर में आधा गिलास गाय के दूध मे,एक चुटकी इलायची,केसर,अदरख भी डालकर चलाएं। यह नुस्खा वीर्य में शुक्राणुओं की तादाद बढाने का अति उत्तम उपाय है। 
६) सफ़ेद प्याज का रस २ किलो निकालें ,इसमें एक किलो शहद मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं। जब सिर्फ़ शहद ही बच जाए तो आंच से अलग करलें । इसमें ५०० ग्राम सफ़ेद मूसली का चूर्ण मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन में भर लें। सुबह-शाम दो १० से २० ग्राम की मात्रा में लेते रहने से वीर्य में शुक्राणुओं का इजाफ़ा होता है और नपुंसकता नष्ट होती है।                                                                                                          
७) गाजर का रस २०० ग्राम नित्य पीने से शुक्राणु अल्पता में उपकार होता है ।                                              
८) शतावर और असगंध के ५ ग्राम चूर्ण को एक गिलास दूध के साथ पीना बेहद फ़ायदेमंद है।                       
९) कौंच के बीज,मिश्री,तालमखाना तीनों बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनालें। ३-३ ग्राम चूर्ण सुबह शाम दूध के              साथ लेने से शुक्राणु अल्पता समाप्त होकर पुरुषत्व बढता है।                                                               
१०) गोखरू को दूध में ऊबालकर सुखावें। यह प्रक्रिया ३ बार करें। फ़िर सुखाये हुए गोखरू का चूर्ण बनालें। ५ ग्राम की मात्रा में उपयोग करने से मूत्र संस्थान के रोग ,नपुंसकता और शुक्राणु अल्पता मे आशातीत लाभ होता है।                                                                                                                                                   
११) याद रहे सुबह ४ बजे और अपरान्ह में शरीर में शुक्राणुओं का स्तर उच्चतम रहता है। अत: गर्भ स्थापना के लिये ये समय महत्व के हैं।                                                                                                                          
१२) मशरूम में प्रचुर ज़िन्क होता है इसके सेवन से वीर्य में शुक्राणु बढते हैं ।इसमे डोपेमाईन होता है जो कामेच्छा जागृत करता है। 
१३) भोजन में लहसुन और प्याज शामिल करें।                                                 
१४) शुक्राणु अल्पता में मड थिरेपी भी अच्छे परिणाम देती है। 

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