सेक्स लाइफ को रोमांचक बनाने के लिये नए-नए एक्सपेरिमेंट करना जरूरी है. यह भी देखा गया है कि योगा के द्वारा भी सेक्स क्षमता बढ़ाई जा सकती है. इससे शारीरिक लाभ तो होगा ही सेक्स क्षमता में भी इजाफा होगा. यहां हम आपको दे रहे हैं सेक्सुअल पावर बढ़ाने के लिये कुछ खास एक्सरसाईज-
1. कैमल पोज-
घुटने मोड़ कर बैठे. पैरों में 6 से 7 इंच की दूरी हो. हल्के से उठें. सांस लें. हाथों को पीछे की ओर ले जाकर एड़ियों पर रखे. सीना सामने की ओर निकला हो. हिप्स व कमर को भी सामने की ओर स्ट्रेच करें. नजर ऊपर की ओर हो. 10 से 15 सेकंड बाद सांस छोड़ दें.
लाभः
इससे जांघों, हिप्स, कंधों व सीने में खिंचाव(स्ट्रेच) पैदा होता है. हृदय चक्र को भी उत्तेजना मिलती है. जिससे मन भावनात्मक रूप से सेक्स के लिये तैयार हो जाता है.
2. फ्राग पोज
इसमें घुटने के बल जमीन पर बैठे. दोनों घुटनों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए कमर को झुकाएं. दोनों हाथ शरीर के पास हों. सीना बाहर निकालें. कंधे पीछे की ओर हों. पेट को अंदर की ओर खींचे. सीधे देखें व सांस लें. यही क्रिया दोहराएं.
लाभः
इससे अंदरूनी जांघों का लचीलापन बढ़ता है एवं वे मजबूत होती है. साथ ही हिप्स में उठाव आने के साथ कसावट आती है.
पद्मासन : इस आसन से कूल्हों के जाइंट, माँसमेशियाँ, पेट, मूत्राशय और घुटनों में खिंचाव होता है जिससे इनमें मजबूती आती है और यह सेहतमंद बने रहते हैं। इस मजबूती के कारण उत्तेजना का संचार होता है। उत्तेजना के संचार से आनंद की दीर्घता बढ़ती है।
भुजंगासन : भुजंगासन आपकी छाती को चौड़ा और मजबूत बनाता है। मेरुदंड और पीठ दर्द संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है। यह स्वप्नदोष को दूर करने में भी लाभदायक है। इस आसन के लगातार अभ्यास से वीर्य की दुर्बलता समाप्त होती है।
सर्वांगासन : यह आपके कंधे और गर्दन के हिस्से को मजबूत बनाता है। यह नपुंसकता, निराशा, यौन शक्ति और यौन अंगों के विभिन्न अन्य दोष की कमी को भी दूर करता है।
हलासन : यौन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस आसन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं की यौन ग्रंथियों को मजबूत और सक्रिय बनाता है।
धनुरासन : यह कामेच्छा जाग्रत करने और संभोग क्रिया की अवधि बढ़ाने में सहायक है। पुरुषों के वीर्य के पतलेपन को दूर करता है। लिंग और योनि को शक्ति प्रदान करता है।
पश्चिमोत्तनासन : सेक्स से जुड़ी समस्त समस्या को दूर करने में सहायक है। जैसे कि स्वप्नदोष, नपुंसकता और महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े दोषों को दूर करता है।
भद्रासन : भद्रासन के नियमित अभ्यास से रति सुख में धैर्य और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। यह आसन पुरुषों और महिलाओं के स्नायु तंत्र और रक्तवह-तन्त्र को मजबूत करता है।
मुद्रासन : मुद्रासन तनाव को दूर करता है। महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े हए विकारों को दूर करने के अलावा यह आसन रक्तस्रावरोधक भी है। मूत्राशय से जुड़ी विसंगतियों को भी दूर करता है।
मयुरासन : पुरुषों में वीर्य और शुक्राणुओं में वृद्धि होती है। महिलाओं के मासिक धर्म के विकारों को सही करता है। लगातार एक माह तक यह आसन करने के बाद आप पूर्ण संभोग सुख की प्राप्ति कर सकते हो।
कटी चक्रासन : यह कमर, पेट, कूल्हे, मेरुदंड तथा जंघाओं को सुधारता है। इससे गर्दन और कमर में लाभ मिलता है। यह आसन गर्दन को सुडौल बनाकर कमर की चर्बी घटाता है। शारीरिक थकावट तथा मानसिक तनाव दूर करता है।
1. कैमल पोज-
घुटने मोड़ कर बैठे. पैरों में 6 से 7 इंच की दूरी हो. हल्के से उठें. सांस लें. हाथों को पीछे की ओर ले जाकर एड़ियों पर रखे. सीना सामने की ओर निकला हो. हिप्स व कमर को भी सामने की ओर स्ट्रेच करें. नजर ऊपर की ओर हो. 10 से 15 सेकंड बाद सांस छोड़ दें.
लाभः
इससे जांघों, हिप्स, कंधों व सीने में खिंचाव(स्ट्रेच) पैदा होता है. हृदय चक्र को भी उत्तेजना मिलती है. जिससे मन भावनात्मक रूप से सेक्स के लिये तैयार हो जाता है.
2. फ्राग पोज
इसमें घुटने के बल जमीन पर बैठे. दोनों घुटनों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए कमर को झुकाएं. दोनों हाथ शरीर के पास हों. सीना बाहर निकालें. कंधे पीछे की ओर हों. पेट को अंदर की ओर खींचे. सीधे देखें व सांस लें. यही क्रिया दोहराएं.
लाभः
इससे अंदरूनी जांघों का लचीलापन बढ़ता है एवं वे मजबूत होती है. साथ ही हिप्स में उठाव आने के साथ कसावट आती है.
पद्मासन : इस आसन से कूल्हों के जाइंट, माँसमेशियाँ, पेट, मूत्राशय और घुटनों में खिंचाव होता है जिससे इनमें मजबूती आती है और यह सेहतमंद बने रहते हैं। इस मजबूती के कारण उत्तेजना का संचार होता है। उत्तेजना के संचार से आनंद की दीर्घता बढ़ती है।
भुजंगासन : भुजंगासन आपकी छाती को चौड़ा और मजबूत बनाता है। मेरुदंड और पीठ दर्द संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है। यह स्वप्नदोष को दूर करने में भी लाभदायक है। इस आसन के लगातार अभ्यास से वीर्य की दुर्बलता समाप्त होती है।
सर्वांगासन : यह आपके कंधे और गर्दन के हिस्से को मजबूत बनाता है। यह नपुंसकता, निराशा, यौन शक्ति और यौन अंगों के विभिन्न अन्य दोष की कमी को भी दूर करता है।
हलासन : यौन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस आसन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पुरुषों और महिलाओं की यौन ग्रंथियों को मजबूत और सक्रिय बनाता है।
धनुरासन : यह कामेच्छा जाग्रत करने और संभोग क्रिया की अवधि बढ़ाने में सहायक है। पुरुषों के वीर्य के पतलेपन को दूर करता है। लिंग और योनि को शक्ति प्रदान करता है।
पश्चिमोत्तनासन : सेक्स से जुड़ी समस्त समस्या को दूर करने में सहायक है। जैसे कि स्वप्नदोष, नपुंसकता और महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े दोषों को दूर करता है।
भद्रासन : भद्रासन के नियमित अभ्यास से रति सुख में धैर्य और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। यह आसन पुरुषों और महिलाओं के स्नायु तंत्र और रक्तवह-तन्त्र को मजबूत करता है।
मुद्रासन : मुद्रासन तनाव को दूर करता है। महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़े हए विकारों को दूर करने के अलावा यह आसन रक्तस्रावरोधक भी है। मूत्राशय से जुड़ी विसंगतियों को भी दूर करता है।
मयुरासन : पुरुषों में वीर्य और शुक्राणुओं में वृद्धि होती है। महिलाओं के मासिक धर्म के विकारों को सही करता है। लगातार एक माह तक यह आसन करने के बाद आप पूर्ण संभोग सुख की प्राप्ति कर सकते हो।
कटी चक्रासन : यह कमर, पेट, कूल्हे, मेरुदंड तथा जंघाओं को सुधारता है। इससे गर्दन और कमर में लाभ मिलता है। यह आसन गर्दन को सुडौल बनाकर कमर की चर्बी घटाता है। शारीरिक थकावट तथा मानसिक तनाव दूर करता है।
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