Aurat Ki Gand Ki Chudai – औरत की कुवारी गांड की चुदाई, Sex Story
गोकुलधाम २
गोकुलधाम १ से आगे
भिड़े और दया,तारक और माधवी और जेठालाल और अंजली ने चूदाई की और थोड़ी देर सो जाते हैं।
थोड़ी देर बाद जाग जाते हैं और तीनों स्त्री अपनी सफाई के लिए वाशरूम जाति हैं।तभी जेठालाल भिड़े से पूछता है:कैसा रहा भिड़े?भिड़े बताता है कि बहुत ज्यादा मजा आया।चूदाई में ऐसा मजा मिल सकता हैं ऐसा मालूम नहीं था। तारक बताता है कि सब का साथ सब को मजा।भिड़े तुम सेक्रेटरी हो तो सब के लिए सोचो।इतने में तीनो स्त्री वापस आती हैं और पुरुष जाते हैं वाशरूम में।
अंजली माधवी को पूछती हैं कि कैसा रहा?तारक के साथ मजा तो आया की नहीं।माधवी बोलती हैं की अंजली भाभी ऐसा कभी सोचा ही नहीं था कि साथ मिलकर बाते करते हुए चूदाई में इतना ज्यादा मजा आता है।कितना समय हम ने गवां दिया।पहले ऐसा सोचा होता तो कितना मजा करते।अभी तो जेठाभाई से चुदवाना बाकी है।में सोचती हूं कि दया भाभी जेठा भाई को कैसे जेलती होगी।
इतने में तीनों पुरुष बाहर आ गए और तारक पूछने लगा की क्या करना है।अगला राउंड करना है या कल करना है या यहीं पर आराम करना है।भिड़े बोलता है कि हम सब अपने नए साथी के साथ थोड़ा आराम कर ले बाद में करते है।अभी सुबह के दो बजे हैं क्यों हम दो घंटे आराम करले?
ऐसा सुनते ही जेठालाल और माधवी साथमे चिपक कर सो गए,बीच में तारक ओर दया और पलंग के एंड पर भिड़े और अंजली।सभी पुरुष अपने स्त्री साथी के साथ अपना लन्ड चूत को छूते हुए,और चूंचियों को स्पर्श करते हुए सो जाते हैं।
सुबह पांच बजे पहले दया की नींद खुल जाती हैं और वो तारक का लन्ड पकड़ कर मसलने लगी।तारक जाग जाता हैं और दया को बाहों में लेकर भींचने लगा और होठ पर होठ रख कर किस करने लगा। दया भी उस से जोर से लिपट कर किस करते हुए जीभ तारक की जीभ के साथ मिलाने लगी।ये हलचल से भिड़े और अंजली और माधवी और जेठालाल जाग जाते हैं।सभी पुरुष अपने स्त्री साथी के साथ जोर से लिपट कर किस करने लगे।भिड़े ने अपना किस करते हुए अपने हाथों से अंजली की चूंचियां मसलने लगा और अंजली सिसकारियां भरने लगी।भिड़े ने किस तोड़ दी और अपना मुंह चूंची पर रख कर चूसने लगा और दूसरे हाथ से चूंची की छोटी सी निप्पल को मसलने लगा।मुंह से निप्पल को काटने लगा जिससे अंजली गरम होने लगी।अंजली ने भी अपने हाथ से भिड़े के लन्ड की आगे की चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी और सुपाड़े पर नख से कुरेद ने लगी। जिस से भिड़े और उत्तेजित हो गया।
बीच में तारक ओर दया भी किस तोड़के एक दूसरे के शरीर को सहलाते रहे।तारक दया की बड़ी बड़ी चूचियां जोर से दबाने लगा और बड़ी बड़ी निप्पल चूसने लगा और मसलने लगा।दया ने भी अपना हाथ लंबा कर दिया और तारक का लन्ड पकड़ लिया और उसे मसल ने लगी।तब दया बोली आज तो तुम्हारे लन्ड की धज्जियां उड़ा दूंगी और अंजली भाभी के लिए कुछ नहीं बचेगा और हंसने लगी।तारक ने अपना हाथ दया की चूत पर रख कर मसलने लगा और दाने को रगड़ कर मसलने लगा जिस से दया ज्यादा उत्तेजित हो गई और तारक के लन्ड की आगे की चमडी को आगे पीछे करने लगी और लन्ड के खुले हुए सुपाड़े पर अंगुली घुमाने लगी जिसे तारक की आग भड़क उठी।वो जोर से चूंची दबा कर चूसने लगा।
इसी ओर जेठालाल माधवी की किस तोड़के उसकी चूचियां पर टूट पड़ा और एप्पल जैसी चूंची को मसल कर निप्पल अंगुली में लेकर मसल ने लगा।माधवी ने भी जेठालाल का लन्ड पकड़ कर मसलने लगी।माधवी के हाथ में जेठालाल का लन्ड समा नहीं रहा था।फिर भी वह उसके लन्ड को मसले जा रही थी। थोड़ी देर बाद जेठालाल ने अपने हाथ को नीचे सरका कर माधवी की चूत पर रख दिया और चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद उसने चूत का दाना मसलने लगा और माधवी को गरम करने लगा।
तीनों जोड़ियां सुबह सुबह ही चूदाई में लिन हो गई।पहले भिड़े से रहा नही गया और वो अंजली के पेट पर बैठ कर चूंचियां मसलने लगा और फिर उल्टा घूम कर अंजली चूत पर मुंह रख कर चूसने लगा।अंजली ने भिड़े के लन्ड को पकड़ कर चूसने लगी।दोनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे।ये देख कर तारक दया के पांव को चौड़ा कर दिया और बीच में बैठ कर दया की चूत को चूसने लगा जीस से दया मचलने लगी।जेठालाल ने भी अपने मित्र की नकल करते हुए माधवी की चूत में अपनी जीभ घुसा के घुमाने लगा और चूत के दाने को जोर से मसल ने लगा।तो पहले माधवी बोली: मै गैइई और उसने अपना पानी जेठालाल के मुंह में छोड़ दिया।जेठालाल बैठ गया और अपना लन्ड माधवी की चूत के बीच में रख कर सुपारा अन्दर घुसा दिया और नीचे होकर माधवी के होंठ पर होंठ रख कर चूसने लगा और माधवी के शरीर को दबा के रख कर एक जोरदार धक्का लगाया और पूरा लन्ड माधवी की चूत में घुसा ने लगा मगर माधवी चूत दया की चूत की तरह चौड़ी नहीं थी इसी लिए पूरा घुसा नहीं पाया और दूसरा धका लगाके पूरा लुंड माधवी की चूत में घुसा दिया।माधवी की आंख में आंसू आ गए मगर जेठालाल ने उसके शरीर को जकड़ रखा था इसी लिए वो छट पटाने लगी।जेठालाल थोड़ी देर स्थिर हो गया और उसकी चूचियां को धीरे धीरे मसल रहा।ये देख कर दया बोली, फट गई ने माधवी भाभी और अंजली और दया मुस्करा रही थी।दया बोली आज टपु के पापा ने माधवी भाभी की चूत के चीथड़े निकाल दिए।
फिर बाकी तारक ने दया की चूत में एक ही झटके में अपना लन्ड घुसा दिया और दोनो हाथों से चूंचियां मसलने लगा।भिड़े भी अंजली का पांव चौड़ा कर के बीच में बैठ कर अपना लन्ड पूरा अंजली की चूत में एक ही बार में घुसा दिया।और अंजली की चूंचियों को मसलते हुए धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। तीनों जोड़ियां सुबह सुबह चूदाई में लगी हुई थी और रूम में फच फ्च की आवाजे आने लगी साथ में उन्हकारो की किलकारियां गूंज उठी।पूरे रूम मे
चूदाई का माहोल भरपूर था।सबसे पहले भिड़े बोलने लगा की मेरा होने वाला है और वो जोर से धक्के लगाते हुए अंजली में समा जाने का प्रयत्न करने लगा और अंजली से लिपट गया।उसी समय अंजली भी बोली की में भी गैईईई।वो भी उछलकर भिड़े से लिपटकर उसमें समाने का जोर करने लगी और दोनो झर कर शान्त हो गए और एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।इधर तारक और दया भी साथ में ही झर गए और एक दूसरे के साथ लिपट कर लेट गए।मगर जेठालाल माधवी से लगे हुए थे और वो माधवी की जबरजस्त चूदाई कर रहे थे।थोड़ी देर में माधवी बड़ बड़ाने लगी की मै तो गैईईईईईई।और वो जोर से झरने लगी मगर जेठालाल का नहीं हुआ था इस लिए वो जोर से माधवी की चूत में लन्ड अन्दर बाहर करने लगा।माधवी को चूत में जलन होने लगी और फिर से झरने लगी।थोड़ी देर बाद जेठालाल भी झरने वाला हुआ और वह माधवी से लिपट कर चोदने लगा और माधवी में घुसने का प्रयत्न करने लगा और माधवी भी उसे लिपटने लगी और जेठालाल माधवी चूत में वीर्य की पिचकारियां छोड़ ने लगा और माधवी पर ढल गया और चिपक गया।माधवी को भी सुख प्राप्त हुआ और वो भी जोर से जेठालाल से चिपक गई।दोनो सो गए।
थोड़ी देर बाद भिड़े और अंजली बाथरूम में गए और भिड़े ने अंजलि की चिकनी चूत को साफ किया और अंजली ने भिड़े के लन्ड को साफ किया।भिड़े ने अंजलि को चूत को चूम लिया ओर अलग हो गया और दोनो बाहर आ गए।बाद में तारक,दया,माधवी और जेठालाल चारों बाथरूम में गए और तारक ने दया की चूत को साफ किया और दया ने तारक के लन्ड को साफ किया।तारक ने दया की चूची को हल्के से मुंह में लिया और छोड़ दिया।दूसरी ओर जेठालाल ने भी माधवी की चूत को साफ कर के किस किया और माधवी ने जेठालाल के लन्ड को साफ कर के चूम लिया।फिर चारो बाहर आ गए।सबके चेहरे पर चूदाई की चमक थी।
तभी तारक बोलता है:भिड़े और सब लोग, हम सब ने सामूहिक चूदाई का भरपूर आनंद लिया। इसमें सब की मर्जी थी,सहमति थी,किसीने किसी पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला।तो ये सब यहीं हम भूल जाते हैं और किसी के आगे इसका जिक्र नहीं करेंगे।समाज में ये ठीक नही समझा जाता हैं।मगर फिर भी हम सब ने मिलकर आनंद किया।दूसरी बात की इससे कोई इमोशनल अटैचमेंट नहीं होना चाहिए।अंजली मेरी बीवी हैं उसमे कोई फर्क नही पड़ता। चूदाई करने से कोई किसी पर अपना आधिपत्य स्थापित नहीं कर सकता।ये बात सब के दिमाग में होनी चाहिए।समझ गए सब लोग?सब ने सहमति में अपने सर हिलाए।भिड़े बोला की मेहता साब आपने सच बात बताई।
सब लोग ने अपने कपड़े पहन लिए।तभी भिड़े बोलता है की अभी सात बजे हैं तो मैं और माधवी पहले निकल जाते हैं और बाद मे मेहता साब आप लोग निकल जाना।
भिड़े और माधवी के जाने बाद,तारक और अंजली जाने लगे।तारक ने बताया कि आज मुझे और अंजली को आराम की जरूरत है इसीलिए जेठालाल आज मुझे डिस्टर्ब मत करना।
सब के जाने के बाद जेठालाल दया को अपनी ओर खींच लेता है और अपने सीने से लगा कर चुम्बन करते हुए केहता हैं कि कैसा रहा मेरी रानी,स्वर्ग लोक में जाके आए की नहीं।दया बोली: हा टपु के पापा,आप को तो स्वर्ग का सुख मिला मगर मुझे भिड़े भाई से संतोष नहीं हुआ। हा मेहता साब ने मजा करवाया।जेठालाल बोलता है कि कोई बात नहीं देखते हैं कि आगे क्या होता हैं।
फिर दोनो अपने रोज़ के काम में व्यस्त हो गए। घर पर कोई और था नहीं तो दो पहर का खाना खाने के बाद,रविवार की छूटी में जेठालाल अपने बेडरूम में सो जाता हैं।घर का काम निपटा के दया भी जेठालाल के पास से जाति हैं।
दुसरे दिन से सब लोग अपने काम में व्यस्त हो गए। टपु सेना भी वापस आ गई और बापूजी भी आ गए।जेठालाल और दया रोज चूदाई करने लगे।तारक,जेठालाल और भिड़े कभी कभी सामूहिक चूदाई याद करते हुए मुस्करा ले ते थे।
एक दिन रात को जेठालाल के बेडरूम में चूदाई करने से पहले दया जेठालाल से बात करते हुए कहा: टपु के पापा,आज मैंने बापूजी को मूठ मारते हुए देखा।ये सुनते ही वो चौंक गया और पूछने लगा कि कैसे तुमको मालूम हुआ।दया बताने लगी की मैं जब बापूजी के आगे पीछे काम करती थी तब वो मेरे और देखते रहते थे।आज मै दोपहर महिला मंडल की मीटिंग से वापस आई तो बापूजी को कहीं नहीं देखा तो मैं उनके रूम में गई तो वो अपनी धोती निकाल कर लन्ड पकड़ कर हिला रहे थे और मेरा नाम ले रहे थे। में वापस जाने लगी तो उन्हों ने मुझे देख लिया और अंदर बुलाया।वो बोले बहु क्या करूं, मैं तुम लोगो को चूदाई करते देखा था तो मुझे भी तुम्हारी सास के साथ की बाते याद आ गई और ये मै किसीको बता नहीं सकता इसी लिए मै चाहता हूं कि मैं भचाऊ चला जाऊं और वन्हा अपना जुगाड कर लूंगा। मैं ने उनको कहा की आप चिंता मत करो हम कोई रास्ता निकालेंगे।अब आप सोच लिजिए क्या करना है वरना बापूजी गांव चले जाएंगे। जेठालाल चिंता में पड़ गया।दया बोली: टपु के पापा एक बार में बापूजी की मदद कर दूं? उनको शांत कर दूं?जेठालाल बोला दया इतना करेगी तो वो अभी गांव जाने की बात छोड़ देंगे।तो मेरी रानी मेरी ओर से तुझे जो अच्छा लगे वो करने की छूट है।इतना बोल के दोनो चूदाई में लग जाते हैं।
दुसरे दिन दो पहर में दया बापूजी के रूम मे जाति हैं और देखती है कि वो लन्ड हिला रहे हैं और उसका नाम ले रहे हैं।दया बापूजी के पास जाकर बोलती हैं, लाओ बापूजी इतना बोल कर दया ने बापूजी का लन्ड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।इससे बापूजी चौंक गए और बोले कि बहु तू ये क्या कर रही हैं।दया थोड़ी देर बाद लन्ड मुंह में से निकाल कर खड़ी हो के रूम बंध कर देती हैं और वापस आकर बापूजी के होंठ पर अपने होंठ रख देती हैं। और बापूजी के हाथ अपनी चूचियों पर रख देती हैं और अपना हाथ लंबा कर के बापूजी लन्ड को पकड़ कर मसलने लगी।चंपक चाचा ने दया को बेड पर लिटा दिया और उस पर आ गए।उन्होंने दया का ब्लाउज और ब्रा भी खोल दिया और दया की सी चूची को चूसने लगे और दूसरे हाथ से निपल को मसले जा रहे थे।बहु तेरी चूंचियां और निपल तेरी सास से भी बड़े बड़े हैं। हां बापूजी, टपु के पापा का कमाल है।और दया हसने लगी। दया ने बापूजी की धोती कुर्ता निकाल दिया और खुद ने भी अपना पेटीकोट उतार दिया और पेंटी भी उतार दी और कहा आपका लन्ड तो टपु के पापा जैसा ही है।चाचाजी ने दया को बेड पर लिटा दिया और उस पर चढ़ गए और धीरे से अपना लन्ड दया की चूत पर रख कर धक्का लगाया और चूत में उतार दिया और दया के शरीर पर लिपट गए और बोले बहु तेरी चूत तो बहुत गरम हैं।आज मेरे लुंड को कई साल बाद जवान चूत मिली। में तो धन्य हो गया।भगवान तेरी भोस को लन्ड से जुदा न होने दे। तुझे रोज लन्ड मिले। दया बोली बापूजी आपका आशीर्वाद सदा मिलता रहे और मेरी चूत आपके लन्ड की सेवा करती रहे।चाचाजी थोड़ी देर वैसे ही चूत में लन्ड डाल कर पड़े रहे।थोड़ी देर बाद दया ने अपनी कमर हिलाने लगी।चाचाजी ने भी अपना लन्ड अन्दर बाहर करने लगे।थोड़ी देर में ही वो बोले, बहु मै झरने वाला हूं।दया ने चूदाई रुकवा दी और थोड़ी देर बाद फिर से चाचाजी धक्के लगाने शुरू किया। पांच मिनट धक्का लगाने बाद दोनो ससुर बहु साथ में झर गए और एक दूसरे पर लिपट कर सो गए। थोड़ी देर बाद चाचाजी खड़े हो गए और दया भी खड़ी हो गई।दोनो बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ करने लगे।फिर बाहर निकल कर कपड़े पहन लिए।
फिर चाचाजी बोले,बहु आज तुमने मेरी अच्छी सेवा की।बापूजी अब आप भचाऊ जाने का नाम नहीं लेना। टपू के पापा ने कहा है कि हम आपके लिए कुछ सोचते हैं।क्या बहु जेठिया को पता है जो आज हम ने चूदाई की? दया ने बताया कि हां वो जानते हैं।तो चाचाजी बोले की मै कितना भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसे बेटा और बहू मिले। भगवान तुम दोनों को चूदाई का भरपूर सुख दे।ये सुनते दया हसने लगी और बोली बापूजी आप को एक बात बतानी थी,आप ये सुनके अब बुरा नहीं मानोगे ऐसा लगता हैं।क्या ऐसी बात है बहु,चाचाजी बोले,जो अब मैं बुरा नहीं मानूंगा?दया बताने लगी की मैंने और टपु के पापा ने सामूहिक चूदाई की और वो भी अपने साथी बदल कर।तब चाचाजी उसका मतलब पूछते हैं तो दया बताती हैं की पहले टपु के पापा ने और मैने मेहता साब और अंजली भाभी के साथ चूदाई की।मैने मेहता साब से और टपु के पापा ने अंजलि भाभी को चोदा और ये हम ने एक दूसरे के सामने किया और खूब मजा आया।इसके बाद भिड़े भाई और माधवी भाभी भी जुड़ गए और मुझे भिड़े भाइने और मेहता साब ने चोदा। अंजलि भाभी को टपु के पापा ने और भिड़े भाई ने चोदा और माधवी भाभी को भी टपु के पापा ने चोदा और मेहता साब ने चोदा।पूरी रात चूदाई चली।ये सब साथ मिलकर एक दूसरे के सामने किया और इतना मजा आया की बात न पूछो।
अगर आप का महिला साथी मिल जाए तो आप भी हमारे साथ चूदाई में सामिल हो सकते है।देखते हैं आगे क्या होता हैं।अब सिर्फ बच्चों से सावधान रहना पड़ेगा। तब चाचाजी बोले की अब टपू सेना को बच्चे न समझो अब वो लोग बड़े हो गए हैं।फिर दया वहां से चली जाती हैं और अपने रूम में जाकर आराम करती हैं और शाम को अपने घर के कामों में लग जाती हैं।
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