* लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है |
* प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है | ( अष्टमी को नारियल न खायें | )
* मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है |
* खीरे के छोटे – छोटे टुकड़े करके संतकृपा चूर्ण मिलाकर खाने से अरुचि मिटती हैं, भूख खुल के लगती है और पाचन क्रिया तीव्र होती है |( संतकृपा चूर्ण सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों में उपलब्ध हैं | )
* अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें | इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है |
- तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है |
- गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है |
- तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है |
धनिया : – धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है |
१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में १ गिलास पानी में भिगो दें | प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें | यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं | धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा | इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं |