इंडियन बीवी की चुदाई सेक्स कहानियाँ

न्यू अनुभव चुदाई की कहानी – Part 07

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इंडियन बीवी की चुदाई सेक्स कहानियाँ

मैं समझ गयी के माइक अब स्खलन की और बढ़ रहा।मुझे भी अब पीड़ा काम हो रही थी और धीरे धीरे मैं और उत्तेजित होने लगी।कुछ देर और धक्के लगे तो मैं अपनी पीड़ा भूल कर आनंद लेने लगी।सच मे माइक के पास काफी अनुभव था कामक्रीड़ा में,उसने मुझे पूरी तरह अपने वश में कर लिया था अब।उसने बहुत पीड़ा दी पर मुझे विरोध करने का भी अवसर नही दिया यही तो एक अनुभवी और प्रौढ़ मर्द की पहचान होती है।

उसने अपनी उत्तेजना और प्रक्रिया दोनो को ही बहुत ही नियंत्रण में रखा न उसने कोई जल्दबाज़ी दिखाई न ही कोई घबराहट। मैं अब उसने धक्कों से आंनदित होते लगी थी।मेरी टांगे और हाथो की पकड़ ढीली हो गयी थी और में बस अब सहारे के तौर पर उसे पकड़ी हुई थी।मेरी यौनी में फिर से नमी आनी शुरू हो गयी,उसके लिंग की चमड़ी के रगड़ से मेरी यौनी की दीवारों पर अब गुदगुदी सी होने लगी।मैंने उत्तेजना में आकर हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके चूतड़ों को सहलाने में लगा दिया।कुछ और धक्के मारे उसने तो मैंने अपनी टांगे उसके आगे से हटा कर थोड़ा फैला दिया पर इतना भी नही फैलाया था के वो पूरा मुझसे चिपक सके।वो काफी तेज हाँफने लगा था,उसकी धड़कन तेज हो रही थी बदन तपने लगा था और पसीने से लथपथ हुआ जा रहा था।

मैंने उसके चेहरे की और देखा उसकी आँखों मे चरम शुख की तीव्र लालसा दुखी।में समझ गयी वो अब झड़ने वाला है।उसकी आँखों मे वासना देख मेरे अंदर भी अब चिंगारी आग बनने लगी थी।हमदोनो ने एक दूसरे की आंखों में देखा ऐसा जैसे हम अब आंखों से ही बातें करेंगे।वो लगातार तेज़ी से मुझे धक्के मार रहा था,और मैं मादक आवाजे निकाली हुई उसका साथ दें रही थी।उसने शायद मेरी आँखों मे मेरी हामी पढ़ ली थी।वो मेरी तरफ और झुक कर धक्के मारने लगा।मेरे मुह से निकलती शिसकारी,दर्द भरी मादक कुहक,और गर्म सांसे उसे और ज्यादा उकसा रही थी।मैं भी अब मस्ती से भरते हुए उसके चूतड़ों को नाखुनो से चुभोने लगी थी।मेरी यौनी ने माइक के लिंग को स्वीकार कर लिया था।

मुझे महसूस होने लगा कि मेरी यौनी माइक के लिंग के अंदर जाते ही खुल जाती और बाहर आने से ऐसे सिकुड़ती जैसे लिंग को दबोच लेना चाहती हो।मैं भीतर से बहुत अधिक गर्म हो गयी थी और अब मेरे झड़ने का समय भी नजदीक था।माइक धक्के पर धक्के मार रहा था मुझे तभी एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे कोई करंट मेरी नाभी से होकर यौनी तक चला गया और मैंने भी माइक के धक्कों के साथ अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी।माइक मेरी इस हरकत से समझ गया के अब उसके रास्ते मे कोई रुकावट नही है।

हमदोंनो के कमर एक साथ आगे पीछे होने लगे,दोनो की साँसे आपस मे टकराने लगी।मैं जान गई थी उसे मेरी सांसो की खुश्बू और उतीजीत कार रही थी और मुझे भी उसके बदन से मर्दानगी की महक चरम सुख की और धकेलती जा रही थी।इतनी उत्तेजना के बाद भी माइक कितना संतुलित था उसने अपने धक्कों की सीमा वही तक रखी जहा तक उसका लिंग घुसा था।मुझे माइक पर पूरा भरोसा हो चला था के वो मुझे अब केवल सुख देगा।और मेरे विश्वास के वजह से ही मैंने अब आनंद लेना शुरू कर दिया और उसका साथ भी खुल कर देनी शुरू कर दी।माइक को भी मुझपर भरोसा हो गया था उसने भी भाप लिया था के अब मैं भी झडनेवाली हु मेरी यौनी के भीतर बदलाव को देखर।उसे वाकई मेरी यौनी के भीतर बहुत सुख मिल रहा था,

इसलिए अब वो रुकना नही चाहता था।उसने मेरा पूरा समर्थन पाते ही एक पल के लिए धक्कों को रोक मेरे हाथों को अपने चूतड़ों से हटा कर बिस्तर पर रख दिया और फिर थोड़ा ऊपर होकर दोनो टांगो को हाथो से पकड़ पूरा फैलाना चाहा।मैंने उसे रोकना चाहा पर उसने अपनी ताकत से उन्हें फैलाते हुए अपने जांघो पर चढ़ा लिया और मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे दोनो हाथो को पूरी ताकत से पकड़ बिस्तर पर दबा दिया।वो झुकते हुए बिकुल मेरे मुह के पास गया और हल्के और बड़े ही कामुकता भरे स्वर में बोल “भरोसा रखो”।उसके सब्दो ने मुझे बांध लिया और मैंने उसपर भरोसा कर लिया।मैंने विपरीत ताकत लगाना बन्द कर दिया,अपनी टांगे उसके जांघो पर लाद दिया और लंबी सांस खिंचती हुई उसकी आँखों मे देख सांस छोड़ा।

माइक ने अपना वजन घुटनो और कोहनियों पर डाला,मेरे हाथी से हाथ मिलाकर मेरी हामी को स्वीकारते हुए हौले हौले अपने लिंग को मेरी यौनी में धकेलने लगा।उसने 4-6 हौले धक्कों से शुरुवात करनी शुरू की।उसके लिंग ने जैसे ही चलना शुरू किया मेरी यौनी के भीतर मेरी कम होती अग्नी फिर से भड़कने लगी।मैं फिर से लंबी लंबी सांसे भरने लगी और मुख से कामुकता भरी सिसकी छूटने लगी।उसने अंदाज लगा लिया के अब मैं ज्यादा दूर नही झड़ने से।उसने परिस्थिती का सही उपयोग करते हुए धक्कों की गाती बढ़ानी शुरू कर दी थी।

उसका लिंग अभी भी केअरीब 2इंच बाहर ही होगा।मेरी मस्ती में कोई बाधा न हो इसलिए उसने शायद खुद को रोक रखा था एक सीमा तक।मैं पूरी तन और मन से अब संभोग सुख के सागर में डूबने लगी,मेरी सांसे,कराहने की आवाजें,सिसकारियां ऊपर से माइक को जबरदस्त तरीके से माइक और ज्यादा रोमांचित होकर धक्के मारने लगा।मेरी यौनी की मांसपेशियां तेजी के साथ हर धक्के पे सिकुड़ने और ढीली होने लगी।मेरे मन मे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मैं उसके लिंग को यौनी से दबोच लू और बाहर न जाने दु।मेरी यौनी में तेजी से पानी भरने लगा था।हमदोंनो के लिंग और यानी पूरी तरह से चिपचिपे हो गए थे

जिससे माइक के तेज़ धक्कों से छप छप छप की आवाज निकलने लगी थी।माइक पूरी नियंत्रण के साथ हाँफते हुए तेज़ी से धक्के मार मार के लिंग अंदर बाहर कर रहा था।उसके ये तेज़ धक्के मुझे चरम सीमा तक ले जा रहे थे।मेरे मन मे आवाज उठने लगी और और और तेज,और मैंने माइक के हाथों को कस के पकड़ लिया साथ ही मैंने उसकी जांघो पर अपनी टांगो से दबाव बढ़ानी शुरू कर दी।मैं तेज़ सांसे लेती हुई ,कामुक सिसकारियां लेते हुए माइक की आंखों में घूरने लगी।माइक समझ गया के मेरा लक्ष्य आ गया और उसने भी मुझे पूरी ताकत से पकड़ लिया और दोगुनी तेज़ी से धक्के मारने शुरू किए।

हमदोंनो बहुत तेज़ी के साथ सांसे लेने लगे साथ ही हाँफने भी लगे।धक्कों की बारिश सी शुरू हो गयी ,दोनो पसीने से तर हो रहे थे।कुछ और धक्के लगे के एक झटका से मेरी यौनी के मुख के पास शुरू हुआ और तेज़ रफ़्तार से अंदर की और मेरे गर्भाशय के मुख से होता हुआ नाभी तक आने लगा।मैंने झपपट्टे से अपना मुह माइक के मुह से चिपका लिया और अपनी जुबान बाहर निकाल दी।माइक ने जरा भी देर न करते हुए मेरी जुबान को जुबान से लड़ाते हुए और जोरो से धक्के देने लगा।मैं झड़ने लगी थी ,मेरी यौनी ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया।उसका लिंग मेरे गर्भाशय में जोर जोर से चोट मार रहा था।

लगातार एक करंट सी मेरी यौनी से होता हुआ बच्चेदानी के रास्ते मेरी नाभी तक जा रहा था।मैं मजे से भर गई थी, मेरे बच्चेदानी का मुह फूल कर खुल गया था,मैनें पूरी ताकत लगा दी थी,और माइक को पकड़ लिया था।मेरे झड़ने के क्रम में चीखे नाक से निकल रही थी और मैं जैसे जैसे झड़ती गयी माइक के जुबान को काटने चूसने लगी थी। अभी मैं पूरी तरह झड़ी भी नही थी के अचानक एक झटके से माइक ने अपना बाया हाथ मेरे हाथ से छुड़ाया और मेरे चूतड़ को कस के पूरी ताकत से पकड़ लिया।मुझे तो पता नही था के क्या होनेवाला था।मैं अपनी चरम सीमा में मजे में खोई जा रही थी।मैं इतनी मगन थी के मैंने पूरी जाँघे फैला दी थी।

मैं जबतक मस्ती की आखरी सांस लेती के माइक के मुह से आवाज निकली “हहहह हहहह” और जोर जोर से तेजी से धक्के मारने लगा।मेरी तो एक पल में सांस जैसे रुक गयी,ऐसा लगा जैसे मेरी बच्चेदानी फट गई।मैं चीख भी नही पाई क्योकी माइक ने अपनी पूरी ताकत से मेरे मुह से मुह चिपका लिया था।मुझे उसने संभलने का एक मौका भी नही दिया और पूरा लिंग मेरी यौनी की गहराई में घुसा दिया।मैंने अभी झड़ने का पूरा मजा लिया भी नही था के दर्द से तड़पने लगी।मैंने पूरी ताकत से माइक से एक हाथ छुड़ाने तथा दूसरे हाथ से रोकने का प्रयास किया।पर माइक की इतनी ताकत थी के उसने मुझे अपनी जगह से जरा भी हिलने नही दिया।

मैं फिर भी पूरी कोशिश करती रही,मेरे आंखों से आंसू निकल गए पर माइक किसी खूंखार जानवर की तरह बिना किसी चीज़ की परवाह किये तेज़ी से धक्के मारता रहा।उसने 20 से 30 धक्के तेज़ी से मारते हुए मेरी यौनी के भीतर ही झड़ना शुरू कर दिया।उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी में जबरदस्त चोट कर रही थी।लगभग एक घंटे के इस सफर में मुझे ये 20 सेकंड का सफर किसी अग्नी परीक्षा से कम न लगा।

माइक 2 3 धक्के पूरी ताकत से और मारने के बाद शांत होने लगा,पर मैं रो गयी।उसने आखरी धक्का मारा और अपनी वीर्य की आखरी बून्द गिरा कर मेरे ऊपर सुस्त पड़ गया।उसका लिंग मेरी यौनी की आखरी छोर तक चला गया था।थोड़ी देर में वो सिकुड़ने लगा तो मुझे धीरे धीरे राहत स महसूस होने लगा। मुझे नही पता था के ये माइक की कोई तकनीक थी,या मेरे अनुभव से जैसा लगा के माइक झड़ने के क्रम में अपनी उत्तेजना पर नियंत्रण खो बैठा।वैसे ज्यादातर मर्द अपना नियंत्रण खो देते है झड़ने के समय पर ये मेरे लिए सबसे दुखदायी पल था।उसने मेरा बहुत खयाल रखा इतनी देर तक पर अंत मे उसने पीड़ा की हद पार कर दी।

मैंने अपनी टांगे चाह कर भी बंद न कर पाई उसने एक पल का भी समय नही दिया।शायद मेरी ही गलती थी के मैंने उसे जगह दे दी थी जिससे उसे मौका मिल गया मेरे भीतर पूरी तरह से आने का।मुझे अभी भी मेरे पेट से लेकर बच्चेदानी पर दर्द हो रहा था पर माइक के लिंग के स्थूल होने से थोड़ा राहत था।वो कुछ देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा जबतक उसने थोड़ा सुस्ता न लिया।उसकी पकड़ मुझपर ढीली होते ही मैंने उसे धक्का देकर खुद से अलग होने का निर्देश दिया।माइक हल्के हल्के हफ्ते हुए उठा और उसने अपना लिंग बाहर खिंच लिया।लिंग खीचते ही मेरी यौनी से गाढ़ा वीर्य बह निकला और बिस्तर पर फैल गया।मैं अपनी आंखें बंद कर के दोनों टांगे चिपका कर लेटी ही रह गयी।

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