ऑफीस वाली के साथ प्यार किया

मेरा नाम अजित मैने एक साल पहले पहली कंपनी ज्वाईन कि थी।तब मेरी उम्र २१ साल थी।पहले कंपनीने हमारा इन्टरव्यूव किया उस दौरान वहां एक बहोत खुबसुरत लडकी थी।इन्टरव्यू के लिए आये सभी लडको कि नजर उसपर ज्याती थी।सबको उसका सुन्दर मूखडा देखना अच्छा लगभग अच्छा लगता था।ऐसा कोई नही होता होगा जो उसके खुबसुरती कि तारीफ न करता हो।हर एक उसके सुन्दर चेहरे कि तरीफ कर उसे खुश देखता था।मै भी जब इन्टरव्यू के लिए बैठा था तब मुझे भी ऐसा ही लग रहा था कि मै ही उसके खुबसूरत जिस्म का शिकार बन रहा हुं।वास्तव मे तो सभी लोग कंपनी के दुसरे वर्करस भी उसकी सुंदरता कि तरीफ करते नही चुकते थे।
आज मेरा पहला इन्टरव्यू था इसलिए मै कुछ घबराया हुआ था।लेकिन इन्टरव्यू फेस करने कि पुरी हिंमत जुटाकर आया था।मै अपने टॅलेंट से बखुबी वाकिफ था।मै तो कभी रिजेक्ट हो ही नही सकता था।क्योकि मेरा मेरी तंदरुस्त जवान जिस्म पर खुदसे ज्यादा भरोसा था।मै इन्टरव्यू कराने के लिए मैनेजर कि केबीन मै गया।फिर मॅनेजर ने मुझे बैठने के लिए कहाँ मै उनके सामनेवाली खुर्च पर बैठ गया।फिर उन्होने मुझसे सवाल पुछने शुरू किये और मै उनके हर सवाल का सही सही जवाब देता गया।इन्टरव्यू बढीया हो रहा था।मैनेजर भी मेरा होनर देखकर दंग रह गये।कुछ देर उन्होने मुझसे कडे सवाल किये मैने भी सवाल से जुडे जवाब दिये।मेरे जवाब सुनकर तो उनके पसीने छुटने लगे।और फिर उन्होंने अपनी सेक्रेटरी से पीने का पानी मंगाया।फिर वही लडकी अंदर पानी कि बोटल लेकर आ गई।मैने उसे मेरे बहोत करीब खडे होते हुआ मेहसुस किया।उसकी नजदिकी मेरे जिस्म मे तलिस्म जैसी अग्नी पैदा कर रहा था।वाह उसके बडे बडे बट देखकर मेरा इन्टरव्यू से ध्यान हटने लगा था।मॅनेजर पाणी पीते पीते मुझे सवाल पुछ रहा था मै उसको जवाब दे रहा था और मेरा होनर देखकर सेक्रेटरी भी ईन्सपायर हो रही थी।वोह खडे खडे मेरी और देख रही थी।उसका ध्यान मेरी तरफ हटता देखकर मेरा मन खुश हो रहा था।मेरा मन तो उसको वही वही बाहो मे भरने को कर रहा था।लेकिन ईन्टरव्यु मे ऐसा करना मेरे रिजेक्शन का कारण बन सकता था।ईसलिए मैने अपनी अंतरवासना पर काबू रखा और अपना इन्टरव्यू फेस करने लगा।मेरा इन्टरव्यू पुरा होकर मॅनेजर ने मुझे ज्वाईनींग लेटर प्रदान किया और मैने अपनी पहली नौकरी का स्वीकरण किया।
दुसरे दिन से मै अपने काम पर जाने लगा।वहां मॅनेजर रोज मुझे अपने साथ रखता कुछ दिनो बाद उसने मुझे अपना असिस्टेंट मॅनेजर बना दिया।अब वोह लडकी मेरे लिए भी काम करने लगी थी।उसका रूख मेरे से ज्यादा उसी सिनीअर मॅनेजर पर रहता था।मै मन ही मन मे आग बबुला हो उठता था।
कुछ महिने निकल गये।ईतने दिनो भे मैने सेक्रेटरी कि पुरी जानकारी निकाली वोह ऑफीस महज एक आधे घंटे कि दुरी पर रहती थी और कार से जाए तो बस पंधरा मिनीट कि दुरी थी।उसका नाम ज्योत्स्ना था जीसका बहोत सुहाना हुस्न था।मैने उससे पहचान बढाकर उसको रोज उसे घर पर छोडने चला ज्याता।हमारी पहचान दिन-ब-दिन बढती ज्या रही थी।आपस मे लगाव भी हो रहा था जो हमारे यौवन को ललकार के पुकार रहा था।मै उसकी ऑखो मे वोह वासना देख पा रहा था जिसे मेरे जैसा होनहार मर्द ही पुरा कर सकता था।लेकिन हम दोनो भी डर रहे थे कि कही हमारी नौकरी न छुट जायें।ईसलिए हम आपस को काबु मे ही रखते थे।
फिर एक दिन मैने अपना साहस जुटा ही लिया और उसको अपने मन की बात बताने कि हिम्मत कर के उसको अपने केबिन मे बुला लिया।उसके केबिन मे आने पर मैने उठकर केबिन लाॅक कर दिया और उसे सामने वाली खुर्च पर बीठा दिया।उसके बैठने पर मै उससे अपनी अंतरवासना जाहीर करने लगा वोह थोडा सहम गई थी ईससे पहले उसने ऐसा कभी नही किया था।वोह उठकर जाने का प्रयास करने लगी लेकिन मैने उसके हाथ पकडकर उसे रोक दिया।और फिर से समझाने लग गया।फिर धीरे धीरे वोह मेरी बातो मे आने लगी तो मैने उसके बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू किये फिर मै उसके स्तन दबाने लगा और उसके रसीले बट पर अपना हाथ फिराने लगा।वोह ऐसा करते हुए बहोत खुश लग रही थी।मैने अपने मन पर काबू रखते हुए अपने ऑफीस मे होने का खयाल करते हुए उसके साथ लगाव करना जरूरी समझा।मैने उसके स्तन दबाये वेसे उसको बहोत मजा आया।उसकी आहह निकल गई मानो पहली बार किसी लडके मर्द ने उसके उमदा पोर्शन को स्पर्श किया हो।उसकी ऑखो मे देखते हुअ मैने उसके होंठों को अपने होंठों से किस किया और एक हाथ से उसके स्तन दबाने शुरू किये।वोह तो बीन पानी कि मच्छली जैसी तडप रही थी।उसे लगातार किस करते हुए मैने अपना हाथ उसकी जांघों मे सरकाया वोह और बैचैन होने लगी।कब्खत का क्या उमदा जिस्म था मन कर रहा था कच्चा खा जावूं।फिर मैने उसके शाॅर्ट पॅन्ट मे हाथ डाला और उसकी बिकनी के साथ छेडछाड करने लगा।फिर मैने बिकनी से ही उसके चुत मे उंगलियाँ करना शुरू किया।उसकी चुत बहोत व्हर्जीन थी।ईसलिए मैने उंगली ज्यादा अंदर नही डाली।फिर मैने उसको किस करना बंद किया और उसके साथ सेक्स करना भी बंद किया अब मै और ज्योत्सना ऑफीस छुटने का इंतज़ार कर रहे थे।वोह मेरी केबीन से बाहर चली गई और ऑफीस छुटने पर मेरी गाडी मे जाकर बैठ गई फिर भै भी मेरी गाडी मे जाकर बैठ गया।वोह अपनी सीट पर बैठी हुई थी फिर कुछ देर मैने उसकी ऑखो मे देखा और गाडी स्टार्ट करते हुअ उसका एक किस लिया।और गाडी उसके घर कि और भोड दी।उसके घर पर कोई नही था ऐसा उसने मुझे रास्ते मे बताया और मुझे अपने घर चलने को कहा ।फिर हम दोनो उसके घर पर गए।

घर मे ज्याते ही उसने डोअर लाॅक कर दिया और डोअर के पास मे ही लगे टेबल पर झुककर खडी हो गई फिर मैने उसका शाॅर्ट स्कर्ट उपर खिसकाया और पॅन्ट से ही अपना लंड बाहर निकालकर उसे चोदने लगा।मेरा उमदा लंड उसकी बिकनी से होते हुए उसकी चुत मे घुस गया और वोह कहने लगी अजित प्लीज फक मी हार्ड…..oh no fuck me fuck me baby….push my pussy…मै तो उसे चोद ही रहा था हंसी हंसी…कामदेव ने मेरी सुन ली और आज ज्योत्सना जैसी योवना की योनी मे मेरी जवानी खिलखिला रही थी.
फिर मै उसे चोदता रहा करीब आधे घंटे मैने उसे खडे खडे चोदा फिर उससे मेरा लंड चुसवाया.मेरी गोटीया मानो गजब ढाने वाली थी और मेरे लिंग ने अपना स्पर्म उसकी मुंह मे छोड दिया.बेचारी ज्योत्स्ना ने मेरे स्पर्म पीकर अपनी प्यास बुझाई,
और तब जाकर मुझे रास आई ऑफीस वाली कि चुदाई.
धन्यबाद।और कहानी पढने के लिए कृपया कमेंट बाॅक्स मे कमेंट करें।

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