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Baap Beti Sex Story – बाप बेटी की चुदाई कहानियाँ Sex Stories Antarvasna

Baap Beti Sex Story Antarvasna बाप बेटी की चुदाई कहानियाँ Kamukta Baap Beti ki Chudai Ki Kahani, Sex Stories.

मधु मेरी क्लास मे ही पढती थी।
वोह किसी लडके से बात नही करती थी।ईस वजह से उसका कोई बाॅयफ्रेंड नही था।वोह अपनी सहेलियों के साथ काॅलेज चली आती थी।


वोह और उसकी सहेली कुछ महीने सरकारी बसेस से ही काॅलेज आया करती थी।मधु का स्टाॅप मेरे स्टाॅप के कुछ मिल दुरी पर ही था।मै उसको बस मे चढते उतरते देखता सकता था।वोह बहोत खुबसूरत दिखती थी।और काॅलेज कि यूनिफार्म मे तो वोह किसी हसीना से कम नही लगती थी।वोह बढिया टाईट ईनरविअर पहनती थी।जिसकी वजह से उसके बुब्झ बडे उभरे उभरे ओर रसीले दिखते थे।उसके मासीव बुब्झ पर किसीकी नजर न जाये ऐसा हो ही नही सकता था।उसकी नाक भी बडी उंची किस्म कि थी।जिससे वोह देखने वालो कि और नजर मे आती थी।अगर मधु को कोई पिछे से देख लेता तो उसके पसीने छुठ ज्याते ईतनी कमसीन ओर होश उडाने वाले मदहोश बट उसने कमायें थे।एक दिन बस मे बडी भीड थी मुझे बैठने को जगह नहीं मिली इसलिए मै बस मे खडे खडे ट्राव्हल कर रहा था।मुझे बडी झिझक हो रही थी।ऐसै लटके लटके ट्रॅवल मैनै पहले कभी नहीं किया था।कुछ देर बाद मधु का स्टाॅप आया।मैने उसे खिडकी से चढते हुअ देखा।फिर वोह दरवाजे से होकर बस मे चढ गई।
वोह बैठने के लिए जगाह ढूंढने लगी भगर उसे जगाह नही दिखी।फिर वोह दरवाजा छोडकर मेरे पास आकर खडी हो गई।मै रोज उसे चुपके से दिखता था।ईसलिए मुझे आज अच्छा लग रहा था क्योकि भगवान ने मेरी सुन ली थी।ऐसी सुंदर लडकी मेरे पास आकर खडी जो हो गई थी।

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मधुने अपना मुंह मेरी तरफ ही किया हुआ था।ईसवजह से उसके बूब्झ मुझे नजर आ रहे थे।मै हैरान हो रहा साथ मै परेशान भी हो रहा था।मेरे बदन मे आग सी लग रही थी।उंचे टाईट ईनरविअर पहने हुए बुब्ब्झ मुझे ललचा रहे थे।मै ईधर उधर देखता और उसकी ओर न देखने कि कोशीश करता।मगर ऐसा ज्यादा दैर तक नही कर पाता बस मे भीड बहोत थी।ईसवजह से मेरे गर्दन मे दर्द होने लग ज्याता तो मुझे उसकी और देखना ही पडता।कुछ समय बात मुझे आदत सी हो गई उसके बुब्ब्झ को देखने की और वोह भी बडी शिदत से मेरी और से मुंह फिराकर खडी रहती।उसे मुंह फिराये देखकर मुजे मौका भिल ज्याता उसके बुब्ब्झ देखने का।वाहह क्या बुब्ब्झ थे मधु के।मेरा मन तो उसे मुह मे लेकर चुसने को करता था।लेकिन मे उतना खुशकिस्मत नही था।काश वही अपनी हवस पुरा पाता।कितना सुकून मिलता मेरे कलेजे को उसकी चढती जवानी से मेरी अग्नि बुझ ज्याती।

कुछ समय गया अगले स्टाॅप पर कुछ पैसेंजर उतरने वाले थे।तो बस मे थोडी हडबडी मच गई और मधु पीठ फिराकर खडी हो गई।अब मै उसकी गोरी चिट्ठे पोठ को देख पा रहा था।उसकी यूनिफार्म मे से उसके ईनविअर के बेल्ट बाहर झांक रहे थे।उन्हे देखकर तो उसे वही निकालने को मन करता।मगर क्या करू ऐसा नही कर सकता था।गाडी पैसेंजरस को उतार फिर दोडने लगी।कुछ समय बाद गाडी रोड डिवायडर पर से चले तो जोर का झटका लगा ओर मेरा लंड पेंटपर सेही उसकी गांड पर रगड गया।उसकी गांड की चुम्मी ले मेरे लंड मे से खुन जोरोसे उबला और मैरा लंड फुलने लग गया।अब मै परेशान हो गया अब मै लंड को खडा होने से रोक नही पा रहा था आखीरकार वोह खडा हो ही गया।

फिर ओर कुछ डिवायडर आयें और मेरे लवडे ने उसकी और दो चार चूमीया ली।लेकिन मधु को पता चल गया कि यह स्पर्श अजीब सा था।उसने पिछे मुडकर देखा और फिर आगे देखा।मै भी घबरा गया।और थोडा पिछे हटकर खडा हो गया।फिर थोडी देर बाद और एक झटका लगा फिर मेरा लंड उसकी गांड से टक्कर खा गया।

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ऐसा होने पर मधु रोने लग गई और तब जाकर मेरा लंड आराम से सो गया।फिर हमारे काॅलेज का स्टाॅप आया।मधू उतर गई।उसके पिछे मै भी उतर गया।मधु उतर कर बसे से हटकर खडी हो गई।मेरे उतरने का ईंतजार कर रही थी।मेरे उतरनै पर वोह मुझे बात करने के लिए पास आई।फिर उसने मुझे पूछा क्यो तूम्हे शर्म नही आ रही ऐसे अपना लंड उठाते हुअ।भरी बस मे तुमने अपना लंड उठाया था।उसने मुझसे मेरा नाम पुछा मैने अपना नाम उसे बता दिया।

और मैने अपनी सभी हुई परेशानी उसे बता दी।लेकिन वोह मुझे डाटने लगी।कहने लगी मै उसके साथ गंदी हरकत कर रहा था।उसके ऐसा बताने पर मैने उसे साॅरी बोला।मेरे साॅरी कहने पर उसका गुस्सा थोडा कम हो गया।और वोह वहा से चली गई।

कुछ दिन फिर हमारा रोज ही बस से आना जाना हुआ मेरी और उसकी रोज मुलाकात होने लगी।हम एक दुसरे देखकर थोडा मायुस फिल करते लेकिन मन ही मन मे मज़ा आता था।मुझे तो बडी खुशी होती थी उषको मुझे देखते हुए।कभी कभी वोह हसा भी करती थी।शायद वोह हमारे साथ हई घटना को भुलकर उसे पाॅझीटिव्ली ले रही थी।शायद वोह मेरे बारे मे कुछ कुछ सोचने लगी थी सोचने मतलब वोह मुझमे कुछ ढुंढने लगी थी। फिर एक दिन मैने ही वक्त निकालकर उसका उसके बस स्टाॅप तक पीछा किया।और उसके स्टाॅप पर उतर गया।वोह मुझे देखकर मेरे पास आ गई और मुझे ईस बारे मे पुछने लग गई।वोह कहने लग गई क्यु तुम मेरा पिछा करते करते यहाँ तक क्यो आये हो।तुम्हे शर्म नही आ रही यहा तक आते।

फिर मैने हिम्मत करते हुए मैने उसे बता हीदिया।मैने कहा मुझे उसके बारे मे कुछ फिल हो रहा है।मै उसे प्यार कहना चाहता हुं।क्या तुम मुझे अपना प्यार दोगी।

तो वोह थोडी गुस्सा हो गयी।और वहा से चली गई।अगले कुछ दिन तक हम काॅलेज मे मिले।मगर हम एक दुसरे से दुर रहते थे।उसके और मेरे बीच मे बडी लबी लकीर खिची हो ऐसा लग रहा था।

फिर एक दिन मधु मेरे स्टाॅपपर उतर गई और उसे वहां उतरा देखकर मै वहां से चला जाने कि कोशीश करने लगा।लेकिन मधु ने मेरा हाथ थाम लिया।और मुझे रूका दिया।

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और फिर तो उसने मेरे दोनो हाथ नडे और मुझे कहने लगी।चंदु तुम ईतने दिन से प्यार पाने के लिए तरस रहे थे।शायद तूम्हारा ईंतजार खत्म हो गया है अब मै तुम्हें अपना प्यार देने को तैयार हुं।अब मै तुम्हें अपना सारा प्यार सौप दुंगी।उसके मुझे ऐसा कहने पर मेरे कान झिलमिला उठे।मेरे दिल मे प्यार के गितार बजने लगे।

उसको मुझे मनाने कि कोशीश देख मै तैयार सो गया।और उसे कुछ दिनो बाद मेरे घर पर बुलाया।क्योकि उस दिन मेरे घर कोई नही था।तो मैने उसे बुला लिया फिर उस दिन हम काॅलेज कर हमारे घर चले गये और पुरा दिन बहोत प्यार किया।मैने अपनी जिंदगी मे पहली बार अपनी मन चाही लडकी को चोदने का मज़ा लिया।मधु को पाकर मेरी किस्मत ही खुल गई थी।अब हम जब चाहे प्यार और चुदाई करते थे।हमारी जवानी गाडी अब टाॅप गिअर पर चलने लगी।

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