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पहली बार चुदाई का अनुभव
Meri Pahli चुदाई की कहानी |
Meri Pahli Chudai Ki Kahani
मेरा नाम दिवाकर है। मैं हमारे माता पिता की एकमात्र संतान हूँ। बिंदिया आंटी, जिनके साथ ये घटना घटी, वो अक्सर हमारे घर आया जाया करती थीं। उनकी उम्र लगभग 36 साल यानि की हमारी माँ नीरजा के बराबर हैं। उनके पति एक बेहद सफल अमीर व्यापारी हैं और काम के सिलसिले अक्सर बाहर रहते हैं। बिंदिया आंटी अकसर दोपहर को, जब हमारे पिता ऑफिस में मौजूद होते थे, हमारे घर आया जाया क़रती थीं ।
एक दिन सर्दियों की छुट्टियों के दौरान, हमारे माँ-पिता हमारे को अकेला छोड़कर हमारे एक गंभीर रूप से बीमार करीबी रिश्तेदार को देखने गये हूए थे। मैं भी उनके साथ जाना चाहता था, लेकिन माँ-पिता ने हमारे इम्तिहानों की तारीख करीब देखते हुये हमारे को साथ लेकर जाना उचित नहीं समझा और परीक्षाओं के लिए अध्ययन करने को कहा। उस दिन, बिंदिया आंटी, हमेशा की तरह दोपहर लगभग 2 बजे के करीब आ गईं। हमने दरवाजा खोला और उन्हें बताया कि माँ-पिता शहर के बाहर हैं। मैं उन्हें बाहर से ही टरकाना चाह रहा रहा था लेकिन बिंदिया आंटी दरवाजा धकेल कर अंदर आकर सोफे पर बैठ गईं।
हमने विनम्रतापूर्वक उससे पूछा कि क्या वह कुछ चाय या कॉफी लेंगी, परन्तु बिंदिया आंटी ने कहा कि ये आवश्यक नहीं है। बिंदिया आंटी ने हमारे को बताया कि वह हमारे साथ बातें करने और माता-पिता की अनुपस्थिती में मेरा हाल-चाल जानने के लिए आईं हैं। मैं एकबारगी तो बहुत ही शर्मिन्दा और आश्चर्य चकित भी हुआ। हमारे को उनसे क्या बात करनी चाहिए, ये हमारे को पता नहीं था परंतु बिंदिया आंटी ने मुझसे हमारी पढ़ाई के बारे में पूछना शुरू किया, और हमारे कॉलेज के फ्रेंडस के बारे में पूछा। हमने उन्हें अपने फ्रेंडस की संपूर्ण जानकारी दी।
बिंदिया आंटी ने फिर पूछा कि “क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है क्या?“ हमने उनसे कहा कि मैं इन सब मे दिलचस्पी नहीं रखता हुं। अचानक बिंदिया आंटी ने पूछा “क्या तूमने कामसूत्र नामक ग्रन्थ पढा है? मैं अचम्भित और शुरू में और निरूत्तर था परन्तु बार बार पूछने पर मैनें बताया कि मैनें इस किताब का आंशिक अध्ययन किया है।
बिंदिया आंटी ने कहा, “हमारे को लगता है कि तुम्हारी उम्र के ज्यादातर लडके मौका पाते ही इस साहित्य का अध्ययन अवश्य कर लेते हैं” “चिंता मत करो, तुम अपनी आंटी के साथ खुलकर बात कर सकते हो, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, यहां तक कि तुम्हारी माँ तक को भी नहीं” हमने शर्मीलेपन से उत्तर दिया “हमने इस पुस्तक को एक बार माँ की अलमारी के लॉकर को खोलकर पढ़ा तो हैं मगर पूरा नहीं” वह मुस्कुराईं और कहा, ”बहुत अच्छी बात है, लेकिन तुम्हे इस ग्रन्थ का कौन सा अध्याय सबसे ज्यादा मनोरंजक लगा?”
हमने उत्तर दिया “आंटी, इस पुस्तक के एक भाग मे पुराने समय की महारानियों द्वारा दूसरी रानियों के पुञों को सम्मोहित कर सम्भोग और संतानोत्पत्ति का विवरण हमारे को सबसे ज्यादा रोचक लगे। हमने आंटी से पूछा “हमारे को तो ये बात समझ में नहीं आती है कि माञ स्त्री-पुरुष के साथ सोने से संतानोत्पत्ति कैसे संभव हो सकती है?”
आंटी ने हमारे भोलेपन की बातें सुनकर जवाब दिया कि “साथ सोने माञ से संतानोत्पत्ति नहीं हो सकती है बल्कि इसके लिये स्त्री पुरुष के मध्य एक द्रव जिसे वीर्य कहते हैं का संचरण जरूरी होता है जो कि स्त्री-पुरुष के चुदाई से ही हो सकता है” बिंदिया आंटी ने हमारे को उनके बगल में बैठने को कहा और प्यार से एक माँ की तरह हमारे को सहलाया। बिंदिया आंटी ने उनकी उंगलियों को हमारे बालों मे डालकर सहलाया। वो धीरे धीरे सरक कर हमारे नजदीक आंई मुझसे चिपककर बैठ गईं।
इस दरम्यान उनका दुपट्टा उनकी गोद में गिर गया। शायद बिंदिया आंटी ने इसे जानबूझकर नहीं उठाया और अब बिंदिया आंटी मुस्कुरा रहीं थीं । बिंदिया आंटी ने एक आगे से बहुत नीचे तक खुल्ला हुआ ब्लाउज पहना हुआ था जिसके फलस्वरूप उनके चूचियों का लगभग आधे से अधिक भाग साफ उजागर हो रहा था।
बिंदिया आंटी ने उनके चूचियों के मध्य स्थित दरार में मेरा हाथ डालकर कहा, “इस खजाने को देखो और महसूस करो, तब तुम्हे पता चलेगा कि क्या जीवन मे आनंद का क्या मतलब है तुम क्यों शर्म महसूस कर रहे हैं?” देखो हम दोनो अकेले हैं और तुम एक शानदार मर्दाना तन वाले रमणीय पुरुष हो, क्या तुम अपने मर्दाना तन को अपनी आंटी को नहीं दिखाना चाहोगे? बिंदिया आंटी ने हमारी सुडौल भुजाओं पर उनके हाथ फेरते हुए कहा “ओह, क्या मांसपेशियों है?”
बिंदिया आंटी ने कहा, ‘यदि तुम्हारी भुजाएँ इतनी मजबूत हैं तो जांघें और पिंडलीयां तो निश्चित रूप से अत्यन्त सुडोल होनी चाहिए’ इतना कहकर, बिंदिया आंटी ने हमारी मर्दाना जांघों पर हाथ शुरु कर दिए। हमारे लिये ये पहली बार का अनुभव था कि हमारे तन को किसी महिला ने इतनी अच्छी तरह छुअकर देखा हो। हमारे तन सनसनी सी छा रही थी। बिंदिया आंटी ने कहा, “तुम अपनी ट्रैक पेंट क्यों नहीं उतार देते? हमारे को तुम्हारे तन की पूरी झलक लेनी है। बिंदिया आंटी ने लगभग हमारे को धक्का सा देकर हमारी ट्रैक पेंट को उतार दिया। मैं हमारे शॉर्ट्स में उनके सामने खड़ा था।
मेरा लंड पहले से ही खड़ा हो गया था और अब ये हमारे शॉर्ट्स से साफ उभर रहा था। बिंदिया आंटी ने कहा, “तो, अब तुम उत्तेजित हो चुके हो“’ बिंदिया आंटी ने पूछा “क्या तूमने पहले कभी किसी स्त्री से समभोग किया है?” ‘हमने कहा “नहीं”’ “तो आज हमारे साथ इस अद्भुत अनुभव को प्राप्त करने का तुम्हारे पास सुनहेरा मौका है” “तुम डरना मत, ये बात किसी से मत कहना, ये बात हमारे तुम्हारे बीच गुप्त रहनी चाहिये। हमने भी एक बहुत लंबे समय से किसी जवाँ मर्द के साथ संभोग नहीं किया है।
ये कहकर बिंदिया हमारे माँ-पिता के शयन कक्ष में जाने के लिए कहा। कमरे में प्रवेश करते ही, बिंदिया ने उनका ब्लाउज और पेटीकोट खोल दिये। बिंदिया आंटी हमारे सामने ब्रा पैंटी में खडी थी। मैं पहली बार अर्धनग्न औरत को देख रहा था। हमारी आँखों ने ऊपर से नीचे तक उनके आकर्षक कामुक अर्धनग्न बदन पर नज़रें गड़ाकर-गड़ाकर देखना शुरू कर दिया।
बिंदिया आंटी का सुडौल बदन गोरा-चिट्टा चर्बी-रहित था। मिस्र के पिरामिड की तरह उनके चूचियों की ऊर्ध्वता, डाली जैसी कमर पतली और देवदार के वृक्ष की भांति लंबी और सुडौल टांगें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इंद्रलोक की कोई अप्सरा भटक कर पृथ्वी पर आ गई हो। हमारी आँखों ने बिंदिया आंटी के सौन्दर्य को लगभग पूरी तरह से निगलने का निश्चय कर लिया था।
वह मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं। बिंदिया आंटी ने हमारे निकट आकर हमारी टी शर्ट खोलकर अलग कर दी और हमारे सीने, पेट और चेहरे पर बिंदिया आंटी ने अपनी उंगलियां फेरना शुरू कर दी। बिंदिया आंटी ने कहा “दिवाकर, हमारे को छूकर देखो” हमारे को नहीं पता था कि क्या करना है। बिंदिया आंटी ने उनके चूचियों पर हमारे हाथों रखा और धीरे धीरे उनके उरोजों पर घर्षण शुरू कर दिया। हमारे तन में बिजली के हल्के फुल्के झटके जैसे महसूस होने लगे। हमने एक अर्धनग्न औरत के बदन को अब तक कभी भी नहीं छुआ था।
बिंदिया आंटी ने पूछा क्या ये सब तुम्हे पसंद आया?” हमने मस्ती में से सिर हिलाकर हामी भर दी। बिंदिया आंटी डबल बेड पर उलटी लेट गईं और हमारे को अपनी ब्रेसियर का हुक खोलने को कहा। हमने अविलंब ब्रेसियर का हुक खोलकर उसे उतारकर अलग रख दी। उनके सुडौल स्तन अब बिस्तर की चादर से सटे हुए थे। हमने उनकी कमर के दोनो ओर हमारे टांगों को डालकर बैठ गया जैसे घोड़ी की सवारी कर रहा हुं हमारे हाथों ने उनकी पीठ को ऊपर कंधों से नीचे नितम्बों तक सहलाना शुरू कर दिया।
मैं हाथों को कांख में फैरते हुए आंटी के चूचियों के पास ले गया और पूछा, ‘आंटी, क्या मैं इन्हें छू सकता हैं? “तुम कैसी बातें कर रहे हो? ये सब तुम्हारे ही हैं” ये कहकर पलटकर कमर के बल लेट गईं। उनके वक्ष-स्थल अब पूरी तरह स्पस्ट नज़र आने लगा। हमने उनकी चूचियों पर उंगलियां से घर्षण करना आरम्भ कर दिया।’बिंदिया आंटी ने जोर जोर से आहें भरते हूए कहा “अब अपने मुँह मे चूचियों को लेकर चूसना शुरू करो।
चूचियों को चूसते-चूसते हमने आंटी की जाँघिया को हौले हौले नीचे सरकाकर तन से अलग कर उन्हें पूर्णतया नग्न कर दिया और हमने अपनी जाँघिया भी उतार दी। बिंदिया आंटी ने हमारे नितम्बों को पकड़कर हमारे को अपनी ओर खेंचकर हमारे लौड़े को अपने मुंह में ले लिया। धीरे धीरे हमारे लौड़े के संपुर्ण शाफ्ट की लंबाई को अपने कंठ मे उतारकर धक्के देने लगीं। मुखमैथुन समाप्ति के उपरांत आंटी ने हमारे को पीछे खिसकाकर हमारे सुपाड़े से उनकी चूचियों को घर्षित करना आरंभ कर दिया। “आंटी, अब मैं अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकता हुं क्योंकि मेरा वीर्य-स्खलन होने को है।
बिंदिया ने अपने नितम्बों के नीचे एक तकिया रखकर टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेट गईं है और हमारे को आमंत्रित कर कहा “इतनी जल्दी से वीर्य-स्खलन होने से तो तुम कभी भी तुमसे चुदने वाली औरत को तृप्त नहीं कर पाओगे, थोड़ा धैर्य बनाए रखो और अपने सुपाड़े को हमारी योनीद्वार पर रखकर थोड़ी देर तक लौड़े को अंदर तक घुसेड़कर रखो और फिर धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरु कर दो। इस प्रक्रिया को ही औरत को चोदना कहते हैं।वीर्य-स्खलन के बाद लंड़ ढीला पड़ जाता है तथा ढीले लंड़ से चुदाई नहीं बल्कि मूता जाता है। औरत को चोदते समय यदि वो सौम्य और सभ्य होने के बावज़ूद भी गन्दी गन्दी गालियां बकने लगे और उसकी चूत से वीर्य जैसा द्रव छुटने लगे तो समझो कि उसकी कामपिपासा की तृप्ति हो चुकी है।
मर्द को उसका वीर्य-स्खलन इसके बाद ही करना चाहिये और यदि मर्द इसके तत्काल बाद और भी औरतों को चोदना चाहता है तो यथासंभव प्रयास करे कि आखरी औरत की चुदाई तक उसका वीर्य-स्खलित ना हो। बिंदिया आंटी ने उनकी तर्जनी अंगुली और अँगूठे के बीच हमारे सुपाड़े को पकड़कर अपने हाथ से हमारे लंड़ को उनकी चूत में डालकर हमारे को नीचे ले लिया और वो स्वम हमारे ऊपर आ गईं और एक घुड़सवार की भांति हमारे लौड़े की सवारी करने लगीं।
मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि हमने भी अपने नितम्बों को धीरे धीरे उठाकर योनि में हमारे लंड़ से धक्के देना शुरु कर दिया। बिंदिया ने चिल्लाकर कहा “हरामी” “बहनचोद” “और जोर से चोद हमारे को” “हमारी चूत में लौड़ा इतनी जोर से डाल कि हमारी चूत फटकर भोंसड़ा बन जाये” लेकिन मैं इस प्रथम चुदाई का आनंद लेने पर आमदा था। अतः हमने चुदाई की गति में कोई और इज़ाफा नहीं किया। बिंदिया ने मेरा इरादा भांपकर खुद ही हमारे लौड़े पर उछल उछल कर हमारे को ही चोदने सी लगीं थी।
चंद मिनटों में ही हम दोनो चरमोत्कर्ष पर पहुँच गये। जीवन में पहली बार हमारी कमबख्त मतवाली चूत ने एक मर्दाना अनुभव प्राप्त किया है। बिंदिया आंटी हमारे को देख रहीं थीं। बिंदिया ने पूछा, “ये अनुभव कैसा था?” अब निर्भीकता से हमने उत्तर दिया, “मोक्ष की प्राप्ति जैसा अद्भुत और स्वर्गीय अनुभव था” बिंदिया ने पूछा, “और भी अधिक चोदना चाहते हो?’ हमने कहा, ‘आंटी, हमारे लंड़ तो अब छुहारे जैसा ढीला हो चुका है” बिंदिया आंटी ने कहा, ‘इसके बारे में चिंता मत करो। बाथरूम में जाओ और स्नान करके बिस्तर पर वापस आ जाओ। मैं बाथरूम में गया और स्नान करके और बिस्तर पर वापस आ गया।
बिंदिया आंटी ने हमारे लंड़ को चूस चूस कर फिर एक आठ इंच के आकार के केले जैसा बना दिया और फिर अपनी कोहनी और घुटने के बल कुतिया की मुद्रा बनाकर हमारे को कुत्ते की तरह पीछे से चोदने को कहा। इस बार हमने जमकर चोदा और अंत तक भी वीर्य-स्खलन नहीं होने दिया। अगले दो दिनों तक हमने और बिंदिया आंटी ने जमकर एक दूसरे की चुदाई की और शायद ही कोई काम-मुद्रा हो जिसका क्रियान्वयन नहीं किया हो।